Minimum Balance Limit Fixed: SBI PNB HDFC Bank नया नियम जिसने बदल दी बैंकिंग की तस्वीर रखना होगा इतना पैसा 

Minimum Balance Limit Fixed: आजकल हर व्यक्ति बैंक खाते पर निर्भर है क्योंकि रोजमर्रा की जरूरतों से लेकर बड़े लेनदेन तक हर काम इसी के माध्यम से होता है। ऐसे में जब बैंक अपनी नीतियों में बदलाव करते हैं तो उसका सीधा असर खाताधारकों की जेब पर पड़ता है। हाल ही में एसबीआई पीएनबी और एचडीएफसी बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए न्यूनतम बैलेंस सीमा यानी Minimum Balance Limit Fixed कर दी है। अगर अब खाते में तय सीमा से कम पैसे रहेंगे तो ग्राहकों को जुर्माना देना पड़ सकता है। यह बदलाव खासकर कम आय वाले लोगों के लिए चिंता का विषय बन गया है।

Minimum Balance Limit Fixed नया नियम क्या है?

देश के बड़े बैंकों ने एक नवंबर दो हजार पच्चीस से अपनी न्यूनतम बैलेंस सीमा बदल दी है। इस बदलाव के तहत अब ग्राहकों को अपने खातों में निश्चित राशि बनाए रखना जरूरी है वरना बैंक पेनल्टी वसूलेंगे। एसबीआई ने मेट्रो शहरों के लिए दस हजार अर्ध शहरी क्षेत्रों के लिए पांच हजार और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए दो हजार रुपये की सीमा तय की है। पीएनबी ने मेट्रो में दस हजार और ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार रुपये की सीमा रखी है जबकि एचडीएफसी बैंक ने शहरी क्षेत्रों के लिए दस हजार और ग्रामीण इलाकों के लिए पांच हजार रुपये तय किए हैं। यह बदलाव खाता संचालन में अनुशासन लाने के लिए किया गया है।

SBI के नए नियम से खाताधारकों पर प्रभाव

एसबीआई के नए नियमों के अनुसार अगर कोई ग्राहक तय सीमा से कम बैलेंस रखता है तो उसे दस से पंद्रह रुपये तक की पेनल्टी देनी होगी। एसबीआई ने सलाह दी है कि ग्राहक अपने खाते का बैलेंस ऑनलाइन जांचते रहें ताकि कोई अतिरिक्त शुल्क न लगे। मेट्रो शहरों में रहने वालों के लिए दस हजार रुपये की सीमा मध्यम आय वर्ग पर बोझ बढ़ा सकती है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह सीमा अपेक्षाकृत कम है। बैंक का मानना है कि इससे खातों में नियमित संतुलन बना रहेगा और बैंकिंग प्रणाली अधिक पारदर्शी होगी।

PNB और HDFC Bank के नियम कैसे बदलेंगे आपका अनुभव

पीएनबी में मेट्रो शहरों के ग्राहकों को अब दस हजार रुपये रखना अनिवार्य है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह सीमा एक हजार है। अगर बैलेंस कम हुआ तो डेढ़ सौ से तीन सौ रुपये तक पेनल्टी लग सकती है। एचडीएफसी बैंक ने भी शहरी क्षेत्रों में दस हजार और ग्रामीण क्षेत्रों में पांच हजार रुपये का न्यूनतम बैलेंस तय किया है। इन बदलावों से शहरी ग्राहकों पर अधिक असर पड़ सकता है क्योंकि यहां पेनल्टी की राशि भी अधिक है। बैंक का कहना है कि यह बदलाव बैंकिंग में सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी है।

कम आय वाले ग्राहकों पर नया भार

इस नए नियम से सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को होगी जिनकी आय सीमित है और जो नकद लेनदेन पर निर्भर रहते हैं। ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए खाते में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। इससे उनके खर्च पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। हालांकि बैंक ने स्पष्ट किया है कि डिजिटल लेनदेन जैसे यूपीआई नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग पर कोई शुल्क नहीं लगेगा बल्कि उन्हें बढ़ावा दिया जाएगा ताकि लोग ऑनलाइन बैंकिंग को अपनाएं। यह कदम देश को डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने का प्रयास है।

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