Gehu Ka Bhav New Update: आज के समय में हर किसान यह जानना चाहता है कि बाज़ार में गेहूं का ताज़ा भाव क्या है और आने वाले दिनों में इसमें कितनी बढ़ोतरी या गिरावट देखने को मिल सकती है। नवंबर दो हजार पच्चीस में गेहूं की कीमतों में जो बदलाव आया है उसने किसानों के साथ साथ आम लोगों को भी राहत दी है। इस बदलाव ने खाने पीने की चीजों के दामों को भी प्रभावित किया है जिससे घरेलू बजट पर सकारात्मक असर पड़ा है।
Gehu Ka Bhav New Update क्या है?
नवंबर दो हजार पच्चीस में गेहूं के दामों में छह से सात प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई है। यह गिरावट हरियाणा उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में अधिक रही है जहां मंडियों में गेहूं की आवक बढ़ने के बाद भाव नीचे आए हैं। बाजार में गेहूं की कीमतें एमएसपी के आसपास बनी हुई हैं जिसके कारण किसानों को नुकसान नहीं हो रहा है। अच्छी क्वालिटी के गेहूं की मांग अभी भी अधिक बनी हुई है जिससे किसानों को उचित मूल्य मिल रहा है और बाजार में संतुलन बना हुआ है।
सरकार द्वारा बढ़ाए गए MSP से मिली बड़ी मदद
सरकार ने दो हजार पच्चीस के रबी विपणन सत्र के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य दो हजार पांच सौ पचासी रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। यह पिछले वर्ष की तुलना में एक सौ साठ रुपये अधिक है। इस बढ़ोतरी ने किसानों को काफी मजबूती दी है क्योंकि मंडियों में भाव गिरने के बावजूद एमएसपी उनकी सुरक्षा करता है। सरकारी खरीद सुनिश्चित होने से किसान अपनी फसल को सही समय पर बेचने का बेहतर फैसला ले पा रहे हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी अच्छा असर पड़ा है।
Gehu Ka Bhav New Update से बाजार पर प्रभाव
नवंबर की शुरुआत में कई राज्यों की मंडियों में गेहूं का भाव दो हजार छह सौ से दो हजार नौ सौ रुपये प्रति क्विंटल के बीच था जो एमएसपी से ऊपर था। लेकिन महीने के मध्य आते आते आवक बढ़ने से भावों में गिरावट आई और कीमतें स्थिर हुईं। इस स्थिरता से उन उपभोक्ताओं को राहत मिली है जो रोजाना गेहूं आधारित खाद्य सामग्री का उपयोग करते हैं। खाद्यान्न वस्तुओं की कीमतें नियंत्रित होने से महंगाई में भी कमी आती है और बाजार में संतुलन बना रहता है।
आम जनता को कैसे मिला फायदा
गेहूं के दाम कम होने से आटा रोटी और अन्य खाद्य पदार्थ सस्ते हुए हैं जिससे मध्यम और गरीब परिवारों को सीधी राहत मिली है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से भी सस्ता गेहूं लाभार्थियों तक पहुंच रहा है जिससे खाद्य सुरक्षा मजबूत हो रही है। घरेलू बजट पर दबाव कम होने से आम जनता थोड़ी राहत महसूस कर रही है और जरूरी चीजों की खरीद आसान हो गई है।
किसानों के लिए यह बदलाव कितना फायदेमंद
हालांकि गेहूं का भाव कुछ राज्यों में कम हुआ है लेकिन एमएसपी के कारण किसानों को घाटा नहीं हो रहा है। अच्छी गुणवत्ता वाली फसल बेचने वाले किसानों को अभी भी ऊंचे भाव मिल रहे हैं। इसके अलावा इस वर्ष मौसम अनुकूल रहने और समय पर बुवाई होने से उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। सरकार द्वारा निर्धारित ग्यारह दशमलव नौ करोड़ टन के उत्पादन लक्ष्य को देखते हुए किसान इस साल ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।